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श्री १००८ बाबा मठारदेव सारनी
बाबा मठारदेव एक बहुत सिध्ध स्थान है यहाँ पर आने के लिए राजमार्ग ६९ इटारसी से बैतूल के मध्य ग्राम बरेठा से ३३ किलोमीटर की दूरी पर है रेलवे मार्ग के मध्यम से भी बाबा मठारदेव तक पहुँचा जा सकता है घोडाडोंगरी रेलवे स्टेशन से १८ किलोमीटर की दूरी पर बाबा मठारदेव का मन्दिर ३००० फिट की पहाडी पर स्थित है यह मन्दिर चारो और से पहाडियों से घिरा हुआ है तथा एक तरफ़ सारनी नगर और सतपुडा बाँध है
यह बात बहुत पुरानी है जब में मध्य प्रदेश विद्युत् मंडल के सतपुडा थर्मल पॉवर स्टेशन का निर्माण हो रहा था कहा जाता है जहाँ पैर सतपुडा थर्मल पॉवर स्टेशन का निर्माण हो रहा था वहां एक बहुत पुराना पीपल का वृक्ष था जिसको निर्माण के लिए काटना था पहली बार जब काटने वाले ने उस पीपल के वृक्ष पैर कुल्हाडी चलायी तो उसमे से रक्त की धर निकलने लगी जिस कारण से उसने वृक्ष नही कटा
तत्पश्चात उस वृक्ष को क्रेन से उखाड़ने का प्रयास किया गया परन्तु क्रेन दो बार पलट गई सभी प्रयास निष्फल हो गए पर जब मध्य प्रदेश विद्युत् मंडल ने इनाम की घोषणा की तो एक गरीब व्यक्ति आया और उसने वृक्ष की पूजा कर कहा मुझे मेरी दो लड़कियों की शादी करनी है तत्पश्चात उसने वृक्ष को काटना शुरु किया बिना किस दिक्कत के उसने वृक्ष को काट दिया उस वृक्ष में से मठारदेव बाबा निकले और सतपुडा की पहाडी पर ३००० फिट ऊपर समाधी ले ली
बरसो पहले की बात है जब पॉवर स्टेशन का निर्माण कार्य चल रहा था तब यहाँ एक कंपनी के कुछ उत्साही युवको ने पहाड़ के ऊपर जाने का निश्चय किया उन दिनों पहाडी पर जाने का कोई और रास्ता नही था परन्तु अपनी धुन के पक्के युवक साहस के साथ सभी बाधाओ को पर कर शिखर पर पहुच गए वहां पहुचकर उन युवको ने अद्भुत चमत्कार देखा टूटी फूटी घास की मढिया और उसके आस पास झाड़ बहार के साफ़ सफाई हुयी थी मढिया के सामने अखंड धुनी जल रही थी ऐसा आभास हो रहा था यहाँ अभी अभी कोई व्यक्ति आया था जिसने साफ़ सफाई करके शिवलिंग को धोकर ताजे फूल चढाये हो परन्तु पहाड़ की निर्जन चोटी पर सांय सांय चलने वाली हवा के अलावा कुछ भी नही था फिर भी युवको ने सोचा कोई तो होगा जो दोबारा यहाँ जरूर आएगा यह सोचकर सभी वहां ठहर गए लेकिन कोई नही आया नीचे उतारते समय अचानक एक युवक को पत्थर की ठोकर लगी और संतुलन बिगड़ने के कारन वो चट्टानों से टकराता हुआ हजारो फिट गहरी खाई में गिर गया जब उसके दोस्तों ने उसके खोजना शुरु किया तो वह तो वह पहाडी के नीचे बेल के पेड़ के नीचे सो रहा था जब उसने खाई में गिरने की बात सुनाई और कहा मुझे ऐसा लगा मुझे हाथों से पकड़कर किसी ने संभल लिया और पलक झपकते ही पेड़ के नीचे लाकर सुला दिया आखिर हजारो फिट गहरी खाई में गिरा व्यक्ति कैसे जीवित रह सकता है सारनी से दमुआ मार्ग पर बहुत से ट्रक चालको को समय समय पर बाबा मठारदेव ने प्रत्यक्ष या अप्रतक्ष्य रूप से दर्शन दिए है दमुआ के निवासी एक ट्रक चालक ने बताया वो एक दिन मध्य रात्रि सारनी जा रहा था तभी बाबा मठारदेव की पहाडी के नीचे एक बाबा ने उसे रोका लिफ्ट मांगने के लिए पर उसने ट्रक नही रोका आगे थोडी दूर जाकर उसका ट्रक बंदरिया घाट पर पलट गया
मई का महिना था तीन युवक पहाडी पर चढ़ते चढ़ते प्यास के व्याकुल हो उठे उनमे इतनी शक्ति भी नही थी की और चल सके तभी एक बुध बाबा मटका लेकर आ रहा दिखाई दिया जब उन्होंने बुढे बाबा को पुकारा तो वो आया और अपने मटके का जल पिलाया तब युवको ने पानी के स्त्रोत के बारे में पुछा बुढा बाबा उन्हें पहाड़ में बनी एक गहरी झील की चट्टान पर ले गया और वहां गीली सी जगह बताई और कहा इसे खोदो इसमे से जल निकलेगा जो बाबा के भक्तो की प्यास बुझायेगा और बाबा पेड़ के नीचे बैठ गया जब तीनो ने खोदा तो चट्टान के नीचे से पानी की फुहार निकल पड़ी और जल नीचे की तरफ़ बहने लगा जब बाबा की तरफ़ उन्होंने देखा तो पेड़ की छाया में बैठे बाबा नही थे कुछ दिनों बाद उस झील से बाबा के मन्दिर तक पाइप लाइन डाल दी गई और पानी की एक विशाल टंकी बनाकर भक्तो के लिए पानी की व्यवस्था की गई
ऐसे बहुत सरे अनुभव बाबा मठारदेव के भक्तों से सुने जा सकते है प्रतक्ष्य को प्रमाण की आवश्यकता नही होती बाबा के चमत्कार बहुत लोगो ने देखे है आज भी देख रहे है
आज भी सतपुडा की पहाडी में बाबा मठारदेव की जिंदा समाधी मौजूद है
सतपुडा थर्मल पॉवर स्टेशन के तत्कालिन मुख्य अभियंता को बाबा मठारदेव ने सपने में दर्शन दिए और आदेश दिया की वो बाबा मठारदेव पहाडी पर बिजली की व्यवथा करे इसके बाद मध्य प्रदेश विद्युत् मंडल ने पहाडी के नीचे से ऊपर तक लाईट की व्यवस्था की जो की रात में जेडनुमा आकृति का निर्माण करती है
बाबा मठारदेव की महिमा अपरम्पार है प्रतिवर्ष यहाँ पर १४ जनवरी से दस दिनों के लिए मेले का आयोजन होता है जिसमे लाखो श्रद्धालु बाबा मठारदेव के दर्शन के लिए दूर दूर से आते है
नवनिर्मित बाबा का मन्दिर सभी सुविधाओ से परिपूर्ण है पक्की सीढियाँ, नीचे से ऊपर तक विद्युत् प्रकाश की व्यवस्था तथा प्राकर्तिक पड़ी से निकलने वाले शुध्ध जल की व्यवस्था की गई है कुछ भक्तो द्वारा यहाँ पर नीचे शिव, गणेश एवं हनुमान जी के मन्दिर बनवाए गए है
बाबा मठारदेव को शिव का रूप माना गया है
यहाँ पर लोगो की सभी मुरादें पुरी होती है इसलिए हर वर्ष यहाँ पर लाखो श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है बाबा मठारदेव सारनी का दौरा लगते है तथा श्रधालुओं को अप्रतक्ष्य रूप से दर्शन देते है सतपुरा थर्मल पॉवर प्लांट जिसकी डेट बहुत वर्षो पूर्व एक्सपायर हो चुकी है परन्तु बाबा मठारदेव की कृपा से आज भी विद्युत् का उत्पादन कर रहा है सारनी के आसपास बहुत सी कोयला खदानें है जो आज भी सफलतापूर्वक उत्पादन कर रही है
छोटे महादेव ( भोपाली)
सारनी से १६ किलोमीटर की दूरी पर स्थित पहाडी पर भगवन शिव शंकर विराजमान है यहाँ जाने का पहुंचमार्ग थोड़ा कठिन है पर यहाँ पर भगवन शिव की महिमा अपरम्पार है हर वर्ष भोपाली में महाशिवरात्रि पर मेला लगता है यह मेला ग्रामवासियों की आस्था का प्रतीक है आज भी इस मेले में बैल जोड़ी खेती का समान पक्षियों की पिंजरे तवा मिटटी के बर्तन कुल्हाडी हल गैती फावडा जैसे पुराने औजार बिकने आते है
बड़े महादेव पचमड़ी तथा छोटे महादेव भोपाली है ऐसी मान्यता है बड़े महादेव के दर्शन के ७ दिन बाद तक छोटे महादेव के दर्शन नही किए जाते
यह मेला बैतूल जिले के ग्रामवासियों का सबसे लोकप्रिय मेला है
बाबा सैलानी
सारनी नगर में स्थित बाबा सैलानी की मजार भक्तों को प्रेत पिसाच नज़र इत्यादि बाधाओ से मुक्ति मिलती है स्टूडेंट्स के लिए यह सिद्ध स्थल है जो भी यहाँ मुराद मांगता है उसकी मुराद जरूर पुरी होती है रंगपंचमी के दिन यहाँ पर छोटा सा मेला लगता है तथा दूर दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है
तथा यहाँ पर बाबा की वर्षो से पूजा कर रहे भक्तो पर बाबा की सवारी आती है इस दोरान बाबा जिसे भी फूल या पूजा की चीज़ जिस भक्त को देते है उसका काम अवस्य सिध्ध होता है
कहते है बाबा भूत प्रेत को मजार में बंद करके मरते है और हर गुरुवार यहाँ पर प्रेत पिसाच तथा अन्य से पीड़ित लोगो की चिल्लाते और अजीबो गरीब आवाज निकलते देखा जा सकता है कुछ ही दिनों में उन्हें इन सब समस्याओं से मुक्ति मिलती है
सिद्ध बट वृक्ष
बाबा मठारदेव ३०० फिट पर स्थित सिद्ध बट वृक्ष जो की 22°5'51"N 78°11'35"E पर स्थित है ब्रज के कुछ वृक्षों का धार्मिक महत्व माना गया है। एसे वृक्षों में आमलक (आंवला) निन्यग्रोध (बड़) अश्वत्थ (पीपल) शमी (छोंकर) और तमाल के नाम उल्लेखनीय हैं। श्रीकृष्ण ने जिन स्थानों में विशिष्ट लीलाएँ की थी, उनकी स्मृति में वहां वे वट वृक्ष लगाये थे। वट सावित्री व्रत में 'वट' और 'सावित्री' दोनों का विशिष्ट महत्व माना गया है। पीपल की तरह वट या बरगद के पेड़ का भी विशेष महत्व है। पाराशर मुनि के अनुसार- 'वट मूले तोपवासा' ऐसा कहा गया है। पुराणों में यह स्पष्ट किया गया है कि वट में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है। इसके नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा आदि सुनने से मनोकामना पूरी होती है। वट वृक्ष अपनी विशालता के लिए भी प्रसिद्ध है। ज्येष्ठ मास की तपती धूप से रक्षा के लिए भी वट के नीचे पूजा की जाती रही हो और बाद में यह धार्मिक परंपरा के रूप में विकसित हो गई हो। दार्शनिक दृष्टि से देखें तो वट वृक्ष दीर्घायु व अमरत्व-बोध के प्रतीक के नाते भी स्वीकार किया जाता है। वट वृक्ष ज्ञान व निर्वाण का भी प्रतीक है। भगवान बुद्ध को इसी वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। इसलिए वट वृक्ष को पति की दीर्घायु के लिए पूजना इस व्रत का अंग बना। महिलाएँ व्रत-पूजन कर कथा कर्म के साथ-साथ वट वृक्ष के आसपास सूत के धागे परिक्रमा के दौरान लपेटती हैं।
बाबा मठारदेव की आरती
ॐ जे मठ के वासी, स्वामी जे मठ के वासी
तेरी शरण में आये, तेरी शरण में आये
हम सेवक बाबा !! ॐ जय जय हो बाबा....
सीधे सरल ग्वाल के संग, बन बन घुमे बाबा ....
दूध, मठा, मही पीकर, दूध मठा मही पीकर
मगन रहे बाबा !! ॐ जय जय हो बाबा....
कंधे पर प्रेम पोटली, कानो में कुंडल बाला
जाता जूट और मस्तक चंदन, जाता जूट और मस्तक चंदन
गले कन्थीमाला !! ॐ जय जय हो बाबा
घोर घाना जंगल में मंगला, प्रेम का अलख जगाये
ऊँचे पर्वत पर है मढिया, ऊँचे पर्वत पर है मढिया
भक्ति की धुनी रमाये !! ॐ जय जय हो बाबा....
ऊँचा पर्वत ऊँची मढिया, ऊँचा काम तेरा बाबा
जपे निरंतर जै शिवशंकर जपे निरंतर जै शिवशंकर
नाम अक्षर बाबा !! ॐ जै जय हो बाबा
नित्य प्रेम से जाये नाम जो, जै मठ के बाबा
मनकी इच्छा पूरण करते, मन वांछित फल देने वाले
जै मठार देव बाबा !! ॐ जय जय हो बाबा....
ॐ जे मठ के वासी, स्वामी जय जय हो बाबा
तेरी शरण में आये, तेरी शरण में आये
हम सेवक बाबा !! ॐ जय मठारदेव बाबा
कहानी नंबर १
एक अंधी बुढिया थी वह नित्य ही बाबा मठारदेव जी की पूजा करती थी उसकी पूजा से प्रसन्न होकर बाबा मठारदेव ने बुढिया से वरदान मांगने को कहा उसने कहा मेरे पास सब कुछ है मुझे कुछ नहीं चाहिए परन्तु बाबा मठारदेव नहीं माने बोले तुझे वरदान तो मांगना ही पड़ेगा बुढिया ने बेटे से पुछा उसने कहा धन मांग लो बहु से पुछा उसने कहा पोता मांग लो इस प्रकार सबने अपने अपने मतलब की बात की उसने अपने पडोसी से पुछा उसने कहा आंख मांग लो बुढिया चक्कर में पड़ गयी वह सोचते सोचते सो गयी
सुबह उठकर नहाकर बाबा मठारदेव का पूजन किया बाबा मठारदेव ने कहा क्यों बुढिया तुने सोच लिया बुढिया बोली हाँ आप मुझे वरदान दो की "में अपने पोते को सोने की कटोरी में दूध पीते देखू" बाबा मठारदेव बोले तू बड़ी भोली लगती है पर तुने सब कुछ मांग लिया चलो अच्छा है ऐसा ही होगा धीरे धीरे सब बातें सच होने लगी घर में धन भी आ गया बुढिया को आंखें भी मिल गयी आनंद ही आनंद हो गया
"हे बाबा मठारदेव जैसे बुढिया पर प्रसन्न हुए वैसे ही आपकी कहानी पढने लिखने और सुनाने वालों की भी मनोकामना पूरी हो"
"बोलो श्री बाबा मठारदेव की जय"
कहानी नंबर २
ॐ श्री गणेशाय नमः
चार सहेलियां रोज़ पूजा करने जाती थी उसमे से एक सहेली का दिया रोज़ बुझ जाता था उसने अपनी माँ से कहा, माँ ने कहा घी कम रहने के कारण बुझ जाता होगा दुसरे दिन घी ज्यादा डालकर ले गयी फिर भी दिया बुझ गया उसने उसकी माँ से कहा माँ ने पंडित जी से पुछा पंडित जी ने कहा की तुम्हारी बेटी के सुहाग की उम्र कम है इसलिए रोज़ दिया बुझ जाता है माँ ने उपाय पुछा पंडित जी ने कहा रोज़ बाबा मठारदेव के मंदिर में दिया जलाये और भोग चढाये पंद्रहवे दिन चार कटोरियों में सुहाग और चूड़ी, बिंदी रखकर चार सुहागनों में दे इस प्रकार कड़ी चलेगी और उसके सुहाग की उम्र लम्बी होगी
"हे बाबा मठारदेव जिस प्रकार उसके सुहाग की उम्र लम्बी की है उस प्रकार सबके सुहाग अमर करना"
"जय बोलो बाबा मठारदेव की जय"
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